सेवा तुझको धन्य करे,उपकृत से दातार
सेवा तो गुमनाम रहे, दाता रहे अनाम
याचक बनकर माँग रहा, तेरे दर भगवान
मिल जुल करके काम करो, रखो कार्य मे धार
कार्य यहाँ अनिवार्य रहा, परखा फिर व्यवहार
मिलता जुलता रूप रहा, मिलते जुलते गुण
उल्टे सीधे कार्य करे ,फिर भी कार्य निपुण
मिली जुली कोई बात मिली , मिलते नये पड़ाव
मिलने का जब दौर चला, मिले हृदय में घाव
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