कर्मशील और श्रमजीवी व्यक्तियों कोई भी ग्रहण प्रभावित नहीं कर सकता है l सतत कर्म में रत व्यक्ति को कहा फ़ुरसत मिल पाती है कि वह सिर उठा कर सूर्य चंद्रमा आसमान और तारों को निहारे l यह कार्य उन लोगों का है जिनके जीवन मे कोई काम नहीं है , मात्र दूसरे लोगों की निंदा स्तुति करते रहना उनका कार्य है l देखने वालों को तो जमीन पर ही सौंदर्य दिखाई देता है उसे आसमान देखने की आवश्यकता नहीं होती है l
अकर्मण्य और आलसी लोगों को चाहे चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण हो या कोई भी ग्रहण न भी हो तो भी वह दुष्प्रभावित होता रहता है l उसे सभी प्रकार के ग्रह चाहे मंगल हो बुध हो शनि हो या शुक्र हो दुष्प्रभावित करते रहते है l
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