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Sunday, March 26, 2023

वृक्ष की जीजीविषा


संभावनाए कभी  समाप्त  नहीं  होती l असुविधाओं  और  अभावों  का  रोना  वो  रोते  है,  जो  अकर्मण्य  होते  है  
चित्र  दिखाई  दे  रहे  वृक्ष  ऐसे  स्थान  पर  पल्लवित  हो  रहा  है  l जहाँ  उर्वरा  मृदा  नही  पत्थर  और  चुना  रेत  से  बना  मन्दिर  का  शिखर  है  l इस  प्रकार  वृक्ष  ब़ड़ा  होकर  जीवित  और  हरि  भरी  अवस्था  में  देखना  वृक्ष  की  जीजीविषा को  बताता  है 

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