मानव मन का स्वभाव है उसे सौंदर्य दूरस्थ दिखाई देता है अपने आस पास दिखाई नहीं देता है l बुराइयां अपने निकट रहने वाले व्यक्तियों में दिखाई देती है l अच्छाईयां या तो स्वयं में दिखाईं देती या दूर के लोगों में दिखाई देती है l हमे। चाहिए कि हम अपने आस पास परिवेश में बिखरे सौंदर्य और सद गुणों को देखे l
सामान्यत यह भी देखा जाता है सौंदर्य पूर्ण कृतियों को बनाने के लिये महंगी और दुर्लभ वस्तुएं एकत्र कलाकारों द्वारा की जाती है तदोपरांत संरचनाएं और कृतियां बनाई जाती रही है ,वहीं कोई यह कहे कि दैनिक जीवन में उपयोग कर फेंकी गई वस्तुओं से भी संरचनाएं और कला कृतियां बनाई जा सकती है तो लोग आश्चर्य करेंगे
इसे साकार किया है झाबुआ के लोगों ने जिन्होंने र्प्लास्टिक की बोतल, गाड़ी के टायर ट्यूब, पुराने कपड़े, टूटे हुए पाइप , फटे हुए जूतों से पर्यावरण उद्यान में तरह तरह की कृतियां तैयार की है
झाबुआ नगर में इन सब चीजों से तैयार कर अम्बेडकर गार्डन में कई प्रकार की संरचनाएं सजा कर रखी गई है l गार्डन मे कही तो प्लास्टिक की पुरानी फेंकी गई बोतलों से हेलीकॉप्टर तो कही शेड बना कर बैठने योग्य स्थान बनाया गया है l पुराने टायरों और ट्यूब से कुर्सियां और टेबल जैसी आकृतियां बनाईं गई है
इस युग की यह आवश्यकता हैं कि हम आस पास बिखरी बिल्कुल निरूपयोगी हुई चीजों को पर्यावरण के अनुकूल बनाए उन्हें अच्छे प्रयोजन के लिए काम में लाए l इसी प्रकार से समाज से बहिष्कृत उपेक्षित वर्ग को अपनाए उन्हें उचित स्थान प्रदान कर देश और समाज निर्माण में उन्हें भागीदार बनाये
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