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Sunday, April 1, 2012

क्षमा का अधिकार


क्षमा का अधिकार 




शास्त्रों  मैं लिखा हैं -
 
"क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हैं
        उसे नही जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल  हैं"

क्षमा को वीरो का आभूषण बतलाया जाता हैं अपने क्षत्रु को विजय  के  पश्चात क्षमा कर देना न केवल एक बहुत बड़ा निर्णय होता हैं अपितु उसमे  ये शंका भी रहती हैं की क्षत्रु पुनह आघात कर सकता हैं. परन्तू  जो बलवान होता हैं सशक्त होता हैं विजयी होता हैं वो अपनी शरण मैं आये हुए क्षत्रु को बिना इस विषय पर विचार किये क्षमा कर देता हैं और क्षमा करने का अधिकार भी उसी को शोभा देता हैं जिसमे  बल होता हैं जो शक्तिवान होता हैं सामर्थ्यवान होता हैं. क्योंकी कमजोर किसी को क्या क्षमा करेगा उस द्रश्य की कल्पना कीजिये जिसमे एक कमज़ोर एक पहलवान से कहे जा मैंने तुझे माफ़ किया जा घर  जाकर खेर मना आज तेरा  दिन  अच्छा  हैं कल्पना मात्र से ही हँसी आ जाना स्वाभाविक हैं.
क्षमा करने का अधिकार सदेव बलवान को ही प्राप्त हैं आखिर वो व्यक्ति किसी को माफ़ क्या करेगा जिसमे बल ही  नही शक्ति नही जो किसी को हरा नही सकता जो कभी जीत नही सकता जो कभी विजित नही हुआ वो तो केवल कल्पना ही कर सकता हैं.
श्लोक का विवरण - क्षमा उसी को शोभ देती हैं जिसके पास बल होता हैं यहा उदाहरण के लिए भुजंग अर्थात सर्प को इंगित किया हैं सर्प जो की गरल (विष ) का स्वामी होता हैं उसकी मात्र एक काट से ही सामने वाला काल को प्राप्त हो जाता हैं और ऐसे ही बल वाला व्यक्ति क्षमा करने का अधिकार रखता हैं .
क्षमा उसे शोभा नही देती जिसके पास ना तो बल होता हैं ना ही साहस होता हैं ( बिना दाँतों वाला, बिना विष वाला, सरल और सीधा सा कमजोर प्राणी भला किसी को क्या मारेगा और क्या माफ़ करेगा)
यहाँ विष को बल के रूप मैं वर्णित किया गया हैं .
बिना दांतों,विष वाला सीधा सरल  आदि उपमा बोधक शब्द कमजोर व्यक्ति को इंगित करते हैं. 
बल किसी भी रूप मैं हो सकता हैं - भुजबल, बाहुबल, आत्मबल, व्यक्ति का किसी बड़े पद पर होना प्रसासनिक बल, जनबल ,बुधिबल आदि.
 
इस प्रसंग  से ये बात भी निकल कर आती हैं की बल के साथ - साथ  शील का होना भी अति आवश्यक हैं जो व्यक्ति बलवान होने के साथ साथ शीलवान होता हैं वो और अधिक उच्च होता हैं उसका बल उतना ही अधिक शोभा  पाता  होता हैं और वही उस शक्ति का सही पात्र होता हैं.
शील - बल का अभिमान ना होना उसका दुरपयोग ना करना ही शील वान होना हैं आत्मिक सयंम और विनम्रता युक्त बल .     
   

1 comment:

  1. Kshamaa veero kaa bal hai.charitra naari ka bal hai
    naitikataa samaaj ka bal hai
    sinh rahataa hai akailaa nirbal kaa kaa hotaa dal ,dhanvaan kaa aaj hai guni vykti kaa kal hai

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