किनारा पास है
सांस हार मत पथिक
उजाला पास है
तू हार मत पथिक
तेरा विश्वास में
युगों का बल है बाकी
तू मत निराश हो
भले कठिनाई हो अधिक
सफ़र की है थकन तो क्या
तू आशा का मोती है
तू पथ पर कदम रख दे
बुलाती नवीन ज्योति है
चमक तारो सी है झील मिल
न जाने कब कैसे खोती है
सफलता क्यों नहीं मिलती
फिसलती जाती रेती है
तू नयनो में न भर आंसू
ह्रदय में पीड़ा रहती है

No comments:
Post a Comment