दूसरो को धोखा देने पर व्यक्ति विश्वास खोता है
खुद को धोखा देने पर व्यक्ति आत्म विश्वास खोता है
विश्वास खोने पर व्यक्ति की समाज और परिवेश में
विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है
विश्वास हो या आत्मविश्वास हो दोनों के खोने पर
व्यक्ति का कोई मुल्य नहीं रह जाता
आदमी कौड़ी भर का ही रह पाता है
आत्मविश्वास खोने पर व्यक्ति की अपनी
स्वाभाविक क्षमता समाप्त हो जाती है
व्यक्ति कई प्रकार की आशंकाओं से घिर जाता है
आशंकाओं से घिरा हुआ व्यक्ति विनाश की ओर
अग्रसर होता जाता है
इसलिए स्वयं की सामर्थ्य जगाने का उपाय यही है
कि आत्म विश्वास से भर पूर रहो
आत्मविश्वास संस्कार चरित्र परिश्रम
और ईश्वरीय उपासना से जाग्रत होता है
सत गुणों के जीवन में प्रवेश करने से
व्यक्ति किसी व्यक्ति को धोखा नहीं
देता है जहा भी वह रहता जिस ओर भी वह जाता है
विश्वास का भाव जगाता विश्वास बोता है
विश्वास ही कमाता है
ऐसे विश्वास के सोपान के सहारे
व्यक्ति लक्ष्य की ऊँचाइयों की और जाता है
वह जो चाहता है वह पाता है
आप का लेख अंतरात्मा को झनझोड़ने वाला हैं
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