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Tuesday, August 6, 2013

माँ दुर्गा में निहित जीवन के सूत्र


http://www.newsonair.nic.in/feature-image/Durga-mata.jpg
माँ  दुर्गा जिनकी नवरात्रि में आराधना की जाती है 

नारी में शक्ति का प्रतीक है 
मात्र माँ दुर्गा की पूजा से ही कोई  महिला 
या  पुरुष शक्तिशाली नहीं हो जाता 
माँ  दुर्गा द्वारा  अतुल पराक्रमी दैत्यों का वध 
किया गया 
रक्त बीज नामक राक्षस 
जिसके हर रक्त की बूँद एक नए राक्षस को जन्म देती थी 
का भी देवी दुर्गा द्वारा संहार किया गया 
आखिर इतनी शक्ति आई कहा से 
नारी समाज के लिए 
यह स्वयं में शक्ति जगाने का सूत्र हो सकता है 
सर्व प्रथम विचार करते है तो पाते है
 शिव साधना इसका प्रथम सूत्र है 
माँ दुर्गा का अंश महाकाली शिव साधक थी 
जिन्होंने कठोर तप  किया था 
दूसरा  सूत्र है अगाध सौन्दर्य की स्वामिनी होने के बावजूद 
चारित्रिक दृढ़ता थी
कथा आती है महिषासुर तथा अन्य  दैत्यों द्वारा
 विवाह के प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद 
उन्होंने शिव के प्रति अपनी निष्ठा  को नहीं छोड़ा था 
तीसरा  सूत्र  है निर्भयता 
 सामान्य रूप से सभी प्राणी सिंह  के डरते  है 
परन्तु माँ  दुर्गा  द्वारा  सिंह  की सवारी की जानी 
यह दर्शाता  है की सच्ची वीरांगना  को 
निर्भीकता  पूर्वक बुराइयो से मुकाबला करना चाहिए 
चौथा  सूत्र है दूर दर्शिता वर्तमान की समझ 
और अतीत से सीख लेने की प्रवृत्ति को अपनाना 
माँ  दुर्गा के शास्त्रों में त्रिशूल भी शामिल है 
जिसके तीनो भाग भूत भविष्य और वर्तमान के द्योतक है 
पांचवा  सूत्र है अच्छे  लोगो का साथ 
माँ  दुर्गा  के साथ सभी दैवीय शक्तिया  थी 
उनके अग्र  भाग में महावीर हनुमान और प्रष्ट भाग में भैरव देव रहते थे 
जिसका  तात्पर्य यह है की अच्छे  और सत्पुरुषो से
 निरंतर  मार्ग दर्शन प्राप्त करना  चाहिए 
और ऐसे सत्पुरुषो के साथ रहने का परिणाम यह होता  है 
की कोई पीठ पीछे भी विश्वासघात नहीं कर पाता  है 
इसलिए दुर्गा  उपासना  के साथ-साथ 
कोई नारी उपरोक्त सूत्रों का पालन करती है तो 
माँ  दुर्गा  के सामान उसे बल की प्राप्ति होती है 


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