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Saturday, October 5, 2013

सीधे बनो सच्चे बनो अच्छे बनो

पुरानी धारणा यह थी की सीधे लोगो का ज़माना नहीं है 
परन्तु आधुनिक अवधारणा यह है 
की सीधे लोगो का ही ज़माना है 
सीधे लोग की अपेक्षा वे लोग अधिक नुकसान उठाते है 
 जो कपटी और धूर्त होते है 
क्योकि कपटी और धूर्त लोगो के मित्र कम और शत्रु अधिक होते है 
हितैषी कम और अहित की कामना करने वाले अधिक होते है 
सीधे मार्ग पर चलने वाला पथिक विलम्ब से ही सही गंतव्य पर पहुँच जाता है जबकि सफलता के लिए संक्षिप्त मार्ग अपनाने वाला राही राह से भटक जाता है उसे डाकू लुटेरो का ख़तरा रहता है 
सीधे व्यक्ति पर कोई भी सहज विश्वास कर सकता है 
त्रुटी होने पर भी सद्भावना के कारण दया पात्र हो जाता है 
इसके विपरीत चालाक व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता है
 कोई भी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौपे जाने पर
 उसके कृत्यों पर निरंतर लोगो की निगाह रहती है 
त्रुटी किये जाने पर उसके साथ 
अपराधी जैसा बर्ताव किया जाता है 
यह उपधारणा की जाती है 
उसने गलती जान बूझ कर की होगी है 
इसलिए सीधे बनो सच्चे बनो अच्छे बनो 

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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