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Saturday, December 28, 2013

आत्म परीक्षण

व्यक्ति कितना ही कमजोर हो 
वह खुद को शक्तिशाली ही समझता है 
व्यक्ति कितना ही मूर्ख हो 
वह खुद को बुध्दिमान समझता है 
व्यक्ति कितना ही अल्पज्ञानी हो 
वह स्व यम को विद्वान समझता है 
व्यक्ति कितना ही अकुशल हो 
वह स्व यम को प्रवीण समझता है 
व्यक्ति कितना ही कटु भाषी हो 
वह स्व यम को मृदु भाषी मानता है 
व्यक्ति कितना ही अशिष्ट और असभ्य हो 
वह स्व यम को  शिष्ट और दूसरो को अशिष्ट समझता है
 चाहे संतान कितनी मुर्ख हो 
माता पिता को दुनिया में सम्पूर्ण प्रतिभा 
अपनी संतान में दिखाई देती है
व्यक्ति कितना ही दुष्ट हो 
  वह विश्व में सबसे अधिक धर्मात्मा स्व यम को मानता है 
व्यक्ति कितना ही कायर हो 
दुनिया का वीर पुरुष स्व यम को मानता है 
इस दुनिया में ऐसी कोई स्त्री नहीं होगी 
जो कुरूप होने के बावजूद स्व यम को सुन्दर न माने 
ऐसा इसलिए है कि 
व्यक्ति स्व यम का परिक्षण नहीं करना चाहता है 
अपनी आलोचना उसे बुरी लगती  है 
दुसरे व्यक्तियो द्वारा रखी गई परीक्षा प्रणाली उसे अधूरी लगती  है 
इसलिए स्व यम के आलोचक स्व यम बनो 
भ्रान्तियो के आधार पर ही न सपने बुनो

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