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Tuesday, April 1, 2014

मूर्ख दिवस का महत्व

 जो व्यक्ति दूसरो को मुर्ख और स्व यम को 
 सबसे अधिक समझदार समझता है
 वह सबसे अधिक मुर्ख होता है 
व्यक्ति मूर्खता तब करता है 
जब दूसरो  का अल्प मूल्यांकन 
और स्व यम का अतिरिक्त मूल्यांकन करता है 
मुर्ख दिखने और मुर्ख होने में अंतर होता है 
कुछ लोग मुर्ख होने के बावजूद
 स्व यम को समझदार दिखाने का प्रयास करते है 
जान बूझ कर समझदार व्यक्ति मूर्खता का आवरण ओढ़कर
 कथित समझदार जो वास्तव में मुर्ख होते है
 उनसे मनचाहा काम करवा लेते है लाभ उठा लेते है 
वानर रूप मूर्खता का प्रतीक है
 समझदार होने के बावजूद वीर हनुमान ने 
मूर्खता का आवरण ओढ़ा 
  हम जानते है कि उन्होंने कितना लाभ उठाया  
मुर्ख  दिखना  गलत बात नहीं है
 भीतर से मुर्ख होना गलत बात है 
१अप्रेल का दिवस जान बूझ कर मूर्ख  बनने का दिवस है
 कथित समझदारो जो वास्तव में मुर्ख है
 कि मूर्खता सामने लाने का दिवस है
 दुर्जनो को यह जताने का दिवस है
 कि हम सज्ज्न है पर मुर्ख नहीं
 सज्जनता हमारा गुण है कमजोरी नहीं
 

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