जीवन में सम्मान का बहुत महत्व है यह उतना ही आवश्यक है जितना की सासं लेना सम्मान विहीन जीवन आत्मा बिना शरीर की भाती है, यह धन से भी अधिक मूल्यवान है धन से व्यक्ति लोगों को खरीद सकता है पर अपने लिए उनके मन में सम्मान का भाव नहीं खरीद सकता।
इसीलिए सम्मान खरीद की विषयवस्तु नहीं है, यह तो सामने वाले के मन में किसी के लिए स्वतः ही अंकुरित होने वाला भाव है। इसका कारण कुछ भी हो सकता है आपका स्वभाव, कार्य, आचरण, जीवन व्यक्तित्व आदि।
परंतु कुछ व्यक्ति सब प्रकार से सम्मान के अधिकारी होने पर भी किन्हीं कारणों से उससे वंचित रह जाते हैं, वे जीवन में बहूत संघर्ष कर के अपने को इस योग्य बनाते हैं कि अन्य लोग उन्हें आदर देते हैं पर अपने ही घर में उन्हें आदर नहीं मिल पाता।
कारण ? यह बता पाना मुश्किल है,
पर यह दुर्भाग्यपुर्ण है।
Uttm lekh bhagvaan krishn jinhe log aaj pujate hai unhe bhi tatsamay apmaan jhelane pade
ReplyDeletevichar karne yogya post .very nice expression .
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