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Monday, December 28, 2015

मौसम

सर्द हवाओ ने मचा दी हल चल
गहरी संवेदनाओ को खरौचा है |
मौसम को गाली दे दे कर
किस कमबख्त ने उसको कोसा है ?
मौसम अनुभूतियों का सुखद स्पर्श है
 प्रकृति माँ का लाड है दुलार है
 मौसम की खूबसूरत उंगलियो से
विधाता लुटाते प्यार है
गहरी सर्द रातो में होती गहरी शान्ति है
नदिया सरोवर समुद्र तट पर होता
शब्दहीन संवाद मिट जाती समस्त भ्रान्ति है
इसलिए हम मौसम नहीं लड़े
हँसते खेलतें मौसम की मस्ती में
हो जाए खड़े
मौसम हमे भीतर से तर
बाहर से बेहतर बना देगा
मौसम का पावन अनुभव
आध्यात्मिक सुगंध की तरह सदा
हमारी आत्मा के संग रहेगा

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