भगवान
पशुपतिनाथ की यह मूर्ति
माँ शिवना के तट पर स्थित है
प्रतिमा उत्कृष्ट
प्रकृति के संगमरमर के पत्थर पर प्राचीन समय में दशपुर नगर के
महाराजा
यशोधर्मंन द्वारा
तत्कालीन शिल्पकारों से तैयार करवाई गई थी
दशपुर नगर को
वर्तमान में
मन्दसौर नगर के रूप में जाना जाता है
मन्दसौर नगर पौराणिक काल
में
रावण की पत्नी मंदोदरी का पीहर था
इसलिए दशानन की प्राचीन मन्दसौर के
क्षैत्र
जिसे खानपूरा नाम से सम्बोधित करते है
में दशहरे पर दहन नहीं किया
जाता
अपितु जामाता होने से उसकी मूर्ति की
पूजा की जाती है
दशपुर के राजा
यशोधर्मन अत्यंत शक्ति शाली थे उन्होंने आक्रमण कारी शक हूँण को
पराजित
किया था
भगवान पशुपतिनाथ की यह मूर्ति
शिवना नदी में दबी हुई एक रजक को
उस
समय प्राप्त हुई थी
जब वह नित्य प्रतिदिन मूर्ति के मस्तक पर
वस्त्र
प्रक्षालन करता था
काफी समय व्यतीत होने पर रजक को
भगवान पशुपतिनाथ ने रजक
को
स्वप्न में दर्शन देकर कहा की
मुझे नदी में से निकालो
इस
पर रजक द्वारा स्थानीय निवासियों को
स्वप्न की बात सुनाने पर
जब खुदाई
प्रारम्भ की गई तो
विशाल मूर्ति जो इस वीडियो में दिखाई दे रही है मिली
मूर्ति को स्वामी प्रत्यक्षानन्द महाराज द्वारा स्थापित किया गया तब से यह
मूर्ति विश्व में विद्यमान भगवान पशुपतिनाथ की सबसे वृहद
अष्टमुखी प्रतिमा है
No comments:
Post a Comment