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Saturday, February 13, 2016

तू दे कला ,माँ वत्सला और लेखनी को धार दे

माँ शारदे तू तार दे
 जीवन मेरा संवार दे 
हुआ विषम कठिन जीवन 
 नवीन सृजन विचार दे

बढे चरण बढे चरण 
सदा मेरे बढे चरण 
है कामना  यही मेरी
 विमल मति तेरी शरण
तू दे कला ,माँ वत्सला 
और लेखनी को धार दे 

सरल तरल कमल नयन
 हो हंस सा धवल हो मन 
सृजन फसल का अंकुरण
 रहे गति ,नहीं क्षरण 
हो शत्रुता कही नहीं 
माँ मित्र दे और प्यार दे

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