हंस माँ शारदा का वाहन है
परन्तु माँ शारदा ने हंस को ही
वाहन के रूप में क्यों चुना
यह विचारणीय प्रश्न है
हंस का स्वभाव होता है
वह दूध में जल होने पर दूध को पी लेता है
जल को छोड देता है
कंकड़ और मोती के मिश्रण में से
मोती को चुग लेता है कंकड़ को छोड़ देता है
सत्पुरुषों का लक्षण यही होता है कि
सत और असत्य का भेद कर
असत्य छोड कर सत्य को ग्रहण का लेते है
ज्ञान और अज्ञान में भेद कर
अज्ञान को छोड़ ज्ञान को ग्रहण कर लेते है
सत्पुरुषों का आचरण उज्ज्वल होता है
इसलिए हंस का रूप भी धवल होता है
माँ शारदा उसी व्यक्ति की बुध्दि में
विराजमान होती है
हंस के समान सत और असत में
भेद करने में समर्थ होता है
ऐसे व्यक्ति की बुद्धि नीर क्षीर विवेक से युक्त होने से उसे सहज ही आविष्कारक दृष्टि प्राप्त होती है
हंस के समान कल्पना और सृजना के पंख
उसे उपलब्ध होते है
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