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Friday, January 17, 2014

वैचारिकता का स्तर


मनुष्य विचारशील जीव है 
परन्तु प्रत्येक व्यक्ति के वैचारिकता का स्तर 
अलग अलग होता है 
निम्न वैचारिक  स्तर वाला व्यक्ति संकुचित परिप्रेक्ष्य में 
प्रत्येक विषय के बारे में सोचता है 
व्यक्ति का  जितना वैचारिक दृष्टि से उत्थान होता 
उसका दृष्टिकोण उतना ही व्यापक और विहंगम होता जाता है 
वैचारिकता के निम्न धरातल पर खड़े रह कर 
हमें केवल अपने आस-पास 
कि समस्याए और समाधान समझ में आते है 
दूरगामी हित और परिणाम हमें दिखाई नहीं देते
आवश्यकता इस बात कि हम अपनी विचार शक्ति को 
समग्र उंचाईया प्रदान करे 
तभी हम शिखर पर बैठे व्यक्ति के दृष्टिकोण 
,व्यवस्थाओ और व्यवस्थाओ से जुडी विवशताओं को समझ पायेगे 
तब हमें हमारे परिवेश में व्याप्त विकृतिया ही नहीं 
विकृतियों को दूर करने हेतु सही  समाधान भी दिखाई देंगे

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