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Wednesday, April 9, 2014

कंस और श्रीकृष्ण

कंस जो भगवान् कृष्ण का मामा था
 क्या इतना क्रूर व्यक्ति था ?
क्या भगवान् कृष्ण के जन्म का एकमात्र उद्देश्य
 कंस का वध करना ही था ?
उक्त प्रश्नो के उत्तर सामान्य नहीं है 
वास्तव में देखा जाय तो कंस भले ही अच्छा शासक नहीं था 
परन्तु इतना अधिक क्रूर नहीं था कि 
अकारण अपनी सगी बहन को कारावास में डाल दे 
आकाशवाणी होने के पूर्व
 कंस उसकी बहन देवकी का आदर्श भ्राता था
 देवकी और वसुदेव का विवाह अत्यंत भव्य तरीके से
 कंस ने सम्पन्न कराया था 
कंस अपनी बहन देवकी से अत्यधिक  स्नेह रखता था 
विवाह के पश्चात जैसे ही आकाशवाणी से
 कंस को अवगत कराया गया कि
 देवकी का अष्टम पुत्र  उसका वध कर देगा 
कंस का ह्रदय परिवर्तन हो गया 
उसका बहन के प्रति स्नेह घृणा में परिवर्तित हो गया 
यही से उसकी क्रूरता प्रारम्भ हुई कंस कि यह मानसिकता 
 सामान्य मानव स्वभाव है कौन व्यक्ति चाहेगा कि
 उसका सबसे घनिष्ठ व्यक्ति ही उसका वध कर दे  
भगवान् कृष्ण के अवतार का उद्देश्य भी 
यदि कंस वध तक सीमित होता तो वे 
सत्य पर असत्य  की विजय यात्रा को 
कंस के वध के पश्चात आगे नहीं बढ़ाते 
मथुरा के राज्य के राजा बन कर सीमित अर्थो में 
अपनी उपयोगिता प्रमाणित करते 
परन्तु श्रीकृष्ण के अवतार का उद्देश्य कंस  ही नहीं 
अपितु समस्त  धरा पर कंस के सामान 
 कुशासन से जनता को मुक्ति दिलवाना था
समय -समय पर यह कार्य अनेक युग पुरुषो ने किया है
 चाहे वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हो या 
दक्षिण अफ्रिका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला 
 महापुरुष कभी निज उद्देश्य के लिए संघर्ष नहीं करते 
भले उनका संघर्ष  व्यक्तिगत स्तर पर शुरू हुआ हो 
परन्तु वह जनोन्मुख होकर सर्वजन हिताय हो जाता है 

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