मन व्यापे विश्वास नहीं फिर भी करवा चौथ
तृप्ति में भी प्यास रही कैसा है ये बोध
तृप्ति में भी प्यास रही कैसा है ये बोध
व्रत से शक्ति बनी रहे व्रत भक्ति का रूप
भक्त बसे परमात्मा भक्ति भाव स्वरूप
भक्त बसे परमात्मा भक्ति भाव स्वरूप
सूरज संध्या संग रहा चंदा संग है रात
सजना सजनी संग रहे मंजिल होगी साथ
सजना सजनी संग रहे मंजिल होगी साथ
यहाँ देखता दंग रहा अपनों का व्यवहार
नित बदले रूप रंग है जैसे सात प्रकार
नित बदले रूप रंग है जैसे सात प्रकार
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